"इंसान लोगों से मायूस हो सकता है,
अपनी ज़िंदगी के बुरे हालात से मायूस हो सकता है
लेकिन इंसान को अपने रब की रहमत से
कभी भी मायूस नहीं होना चाहिए।
और जो इंसान अपने रब पर पुख़्ता यक़ीन रखता है
वो इंसान कुछ वक़्त के लिए ग़मज़दा तो हो सकता है
लेकिन अपने रब की रहमत से कभी मायूस नहीं होता
और ना ही कभी अपने रब से उम्मीद करना छोड़ता है।
©Sh@kila Niy@z
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