पलटे जो सिरे से ख़्वाब मै हैरत से ख़ुद की कहानी लो | हिंदी Poetry

"पलटे जो सिरे से ख़्वाब मै हैरत से ख़ुद की कहानी लोढ आई मै पुराण की आखिरी निशा हूँ किसी सभ्यता मे गढ़ी रहष्यमयी लिपी का अवतार हूँ सब्र भरो या आगाज मै हर्फ़ -दर -हर्फ़ ख़ुद को  तुम मे बो आई ©चाँदनी"

 पलटे जो सिरे से ख़्वाब
मै हैरत से ख़ुद की कहानी लोढ आई

मै पुराण की आखिरी निशा हूँ
किसी सभ्यता मे गढ़ी रहष्यमयी
लिपी का अवतार हूँ

सब्र भरो या आगाज

मै हर्फ़ -दर -हर्फ़ ख़ुद को 
तुम मे बो आई

©चाँदनी

पलटे जो सिरे से ख़्वाब मै हैरत से ख़ुद की कहानी लोढ आई मै पुराण की आखिरी निशा हूँ किसी सभ्यता मे गढ़ी रहष्यमयी लिपी का अवतार हूँ सब्र भरो या आगाज मै हर्फ़ -दर -हर्फ़ ख़ुद को  तुम मे बो आई ©चाँदनी

#lonely

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