- दोहा - 1- अपनी-अपनी ढपलियाँ, अपना-अपना राग। लगा | हिंदी कविता

"- दोहा - 1- अपनी-अपनी ढपलियाँ, अपना-अपना राग। लगा रहे नेता सभी, जाति धर्म की आग।। 2- साध रहे हैं जो सभी, अपना-अपना स्वार्थ। वे औरों से कह रहे, करो सदा परमार्थ।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava"

 - दोहा -
1-
अपनी-अपनी ढपलियाँ, अपना-अपना राग।
लगा रहे नेता सभी, जाति धर्म की आग।।
2-
साध रहे हैं जो सभी, अपना-अपना स्वार्थ।
वे औरों से कह रहे, करो सदा परमार्थ।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

- दोहा - 1- अपनी-अपनी ढपलियाँ, अपना-अपना राग। लगा रहे नेता सभी, जाति धर्म की आग।। 2- साध रहे हैं जो सभी, अपना-अपना स्वार्थ। वे औरों से कह रहे, करो सदा परमार्थ।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

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