अकेलापन क्या होता है ? आपके पास कोई नहीं है कोई बा | हिंदी Life

"अकेलापन क्या होता है ? आपके पास कोई नहीं है कोई बात करने वाला नहीं है कोई ख़ास नहीं है यह सब ? या आपके पास सब कुछ है कुछ ख़ास लोग भी है पर आप तब भी अकेला महसूस कर रहे हो , यह होता है शायद अकेलापन। क्यों आता है ज़िंदगी में अकेलापन ? क्युकी हमने इतनी बड़ी दुनिया होते हुई भी खुद के लिए एक छोटी सी दुनिया बनाई। शायद हाँ। हम इंसान होते ही ऐसे है खुद की छोटी सी दुनिया में रहने वाले। जो इस ज़िंदगी में, ऐसे ही जीना चाहते है। पर क्या ये सही है ? क्या ये सही है की हम इस ठहराव में रुके रहे ? अगर ये सही है, तो शायद उतना ही सही यह भी होगा की आगे बढ़ना भी ज़रूरी है, जो की ठहराव से बेहतर हो सकता है। मेने अक्सर ये सुना है की ज़िंदगी छोटी सी है मेरे दोस्त। अगर ज़िंदगी छोटी सी है तो हम क्यों खुद को रोके रखते है। ज़िंदगी में किसी भी चीज़ या इंसान से ज्यादा जरुरी शायद हमारा खुश रहना , हस्ते मुस्कुराते रहना है। क्या में गलत हूँ ? हाँ, शायद हो सकता हूँ। इंसान ही तो हूँ। क्या मैं गलत हूँ ??? या मैं अकेला हूँ ??? ©Shayer Sahab"

 अकेलापन क्या होता है ?
आपके पास कोई नहीं है कोई बात करने वाला नहीं है कोई ख़ास नहीं है यह सब ?
या आपके पास सब कुछ है कुछ ख़ास लोग भी है पर आप तब भी अकेला महसूस कर रहे हो , यह होता है शायद अकेलापन। 
क्यों आता है ज़िंदगी में अकेलापन ?
क्युकी हमने इतनी बड़ी दुनिया होते हुई भी खुद के लिए एक छोटी सी दुनिया बनाई। 
शायद हाँ। 
हम इंसान होते ही ऐसे है खुद की छोटी सी दुनिया में रहने वाले।  जो इस ज़िंदगी में, ऐसे ही जीना चाहते है। 
पर क्या ये सही है ?
क्या ये सही है की हम इस ठहराव में रुके रहे ?

अगर ये सही है, तो शायद उतना ही सही यह भी होगा की आगे बढ़ना भी ज़रूरी है, जो की ठहराव से बेहतर हो सकता है। 
मेने अक्सर ये सुना है की ज़िंदगी छोटी सी है मेरे दोस्त। 
अगर ज़िंदगी छोटी सी है तो हम क्यों खुद को रोके रखते है। 
ज़िंदगी में किसी भी चीज़ या इंसान से ज्यादा जरुरी शायद हमारा खुश रहना , हस्ते मुस्कुराते रहना है। 
क्या में गलत हूँ ?
हाँ, शायद हो सकता हूँ। 
इंसान ही तो हूँ। 
क्या मैं गलत हूँ ???
या मैं अकेला हूँ ???

©Shayer Sahab

अकेलापन क्या होता है ? आपके पास कोई नहीं है कोई बात करने वाला नहीं है कोई ख़ास नहीं है यह सब ? या आपके पास सब कुछ है कुछ ख़ास लोग भी है पर आप तब भी अकेला महसूस कर रहे हो , यह होता है शायद अकेलापन। क्यों आता है ज़िंदगी में अकेलापन ? क्युकी हमने इतनी बड़ी दुनिया होते हुई भी खुद के लिए एक छोटी सी दुनिया बनाई। शायद हाँ। हम इंसान होते ही ऐसे है खुद की छोटी सी दुनिया में रहने वाले। जो इस ज़िंदगी में, ऐसे ही जीना चाहते है। पर क्या ये सही है ? क्या ये सही है की हम इस ठहराव में रुके रहे ? अगर ये सही है, तो शायद उतना ही सही यह भी होगा की आगे बढ़ना भी ज़रूरी है, जो की ठहराव से बेहतर हो सकता है। मेने अक्सर ये सुना है की ज़िंदगी छोटी सी है मेरे दोस्त। अगर ज़िंदगी छोटी सी है तो हम क्यों खुद को रोके रखते है। ज़िंदगी में किसी भी चीज़ या इंसान से ज्यादा जरुरी शायद हमारा खुश रहना , हस्ते मुस्कुराते रहना है। क्या में गलत हूँ ? हाँ, शायद हो सकता हूँ। इंसान ही तो हूँ। क्या मैं गलत हूँ ??? या मैं अकेला हूँ ??? ©Shayer Sahab

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