एक बार प्रेम रंग से ऐसी भीगी चुनरिया, तब से दुनिया

"एक बार प्रेम रंग से ऐसी भीगी चुनरिया, तब से दुनियां के सारे रंग फीके लगते हैं..!! वो ना आने वालो से कहना चले आइये ना ज़नाब... आज भी मेरे गाल उनके ग़ुलाल के राह तक रहे हैं.... आज फिर एक मोहन अपनी राधा के इंतज़ार में बैठा है..!! ©HUMANITY INSIDE"

 एक बार प्रेम रंग से ऐसी भीगी चुनरिया,
तब से दुनियां के सारे रंग फीके लगते हैं..!!

वो ना आने वालो से कहना चले आइये ना ज़नाब...
आज भी मेरे गाल उनके ग़ुलाल के राह तक रहे हैं....

आज फिर एक मोहन अपनी राधा के
इंतज़ार में बैठा है..!!

©HUMANITY INSIDE

एक बार प्रेम रंग से ऐसी भीगी चुनरिया, तब से दुनियां के सारे रंग फीके लगते हैं..!! वो ना आने वालो से कहना चले आइये ना ज़नाब... आज भी मेरे गाल उनके ग़ुलाल के राह तक रहे हैं.... आज फिर एक मोहन अपनी राधा के इंतज़ार में बैठा है..!! ©HUMANITY INSIDE

#Holi

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