*"कल और आज की दूरी"*
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आज और कल की दूरी में एक अफसाना सा लगता हैं,
एक बीत गया, एक बीत रहा और एक आने वाला लगता हैं,
आज और कल की दूरी का कोई अफसाना सा लगता हैं।
कल जो था वो आज पुराना और आज वाला ताजा सा लगता हैं,
कल तक खत था, आज टुनटुना और न जाने कल संदेश देने का कोई नया ही रहस्य आने को लगता हैं,
कल और आज की दूरी का कोई अफसाना सा लगता हैं।
बैलगाड़ी से मोटर चालक और मोटर चालक से न जाने महंगाई में रास्ता दूरी बनाए लगता हैं,
चलते–चलते साईकिल की चैन से मोटर साईकिल की टंकी खाली बीच रास्ते में कोई दिल हड्डियों को दुखाने सा लगता हैं,
कल और आज की दूरी के बीच कोई अफसाना सा लगता हैं।
घर–घर न्यौता देती ताई शादियों के रिश्ते यूँ उंगलियों पे गिनाया करती और कहती ये लड़की या लड़का बिहानें लायक लगता हैं,
फिर बिचोलो की होड़ यूॅं घर–घर मुँह खोले पड़ी और अब ऑनलाइन रिश्तों का देखने जमावड़ा लगता हैं।
आज और कल की दूरी में "राज" कोई अफसाना सा लगता हैं।
आज और कल की दूरी में कोई अफसाना सा लगता हैं।
*~राजविंदर कौर संधू* ✍🏻
@therajwinderkour04
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©Rajwinder Kour Sandhu
कल और आज की दूरी।
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