लिख रहे गीत तुम्हारे लिए
कास ये गीत तुम पढ़ पाते
मिले थे तुम हमको जब से
गुन गुना के गीत थे लिखते
थोड़ी खुशियां थोड़े थे गम
गम छुपा के हम थे लिखते
पर की पीड़ा हमने लिखी
पर खुद की पीड़ा न लिखते
लिख रहे गीत तुम्हारे लिए
ये गीत कास पूरा कर पाते
उलझा हुआ है दिल तो मेरा
सुलझा के उसको थे लिखते
सोया नही कई रातों को मैं
उठ हाले दिल भी थे लिखते
टपके थे आँसू इन आँखों से
जब तेरा नाम हम थे लिखते
नाम अपना तुम्हे दे दे कैसे
जुबा से तेरा नाम ले ना पाते
मखमली कोमल ये हरियाली
बंजर सी धरती भी थे लिखते
परियों की प्रेम कथा सुनके
कैसे टूटे दिल को हम लिखते
सुनता कभी प्रेम गीतों को मैं
अधूरी कहानी कैसे लिखते
पढ़ न पाये हम कभी तुमको
बिन पढ़े तुझे कैसे लिख पाते
सीखा तुमसे ही मैं तो लिखना
तुम्हे देख के हम तो थे लिखते
भाव भर के तब उभर आते थे
नाम लेकर तुम्हारा हम लिखते
बीते कल पल पल को लिख
आने वाले कल को थे लिखते
बीते हुवे पलो को याद करके
भूलकर तेरा नाम लिख पाते
लिख रहे गीत तुम्हारे लिए
कास ये गीत तुम पढ़ पाते
©Somesh DEwangan
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