प्रसिद्धि जब तुम पाओगे, अहंकार से बचना होगा। पुनः | हिंदी Poetry

"प्रसिद्धि जब तुम पाओगे, अहंकार से बचना होगा। पुनः लक्ष्य केंद्रित होकर, सूर्य की भांति बढ़ना होगा।। भौतिक आकर्षण जब देखोगे, अशांत मन चंचल होगा। इंद्रिय सुख में डूब गए तो, कैसे तो अंकित सफल होगा।। लक्ष्य बड़ा है अटल तुम्हारा, वर्तमान में जीना होगा। कल की चिंता क्यों करते हो, चिन्ता करने से क्या ही होगा।। जो भी होगा अच्छा होगा..!! ©Rishi Ranjan"

 प्रसिद्धि जब तुम पाओगे, अहंकार से बचना होगा।
पुनः लक्ष्य केंद्रित होकर, सूर्य की भांति बढ़ना होगा।।
भौतिक आकर्षण जब देखोगे, अशांत मन चंचल होगा।
इंद्रिय सुख में डूब गए तो, कैसे तो अंकित सफल होगा।।
लक्ष्य बड़ा है अटल तुम्हारा, वर्तमान में जीना होगा।
कल की चिंता क्यों करते हो, चिन्ता करने से क्या ही होगा।।
जो भी होगा अच्छा होगा..!!

©Rishi Ranjan

प्रसिद्धि जब तुम पाओगे, अहंकार से बचना होगा। पुनः लक्ष्य केंद्रित होकर, सूर्य की भांति बढ़ना होगा।। भौतिक आकर्षण जब देखोगे, अशांत मन चंचल होगा। इंद्रिय सुख में डूब गए तो, कैसे तो अंकित सफल होगा।। लक्ष्य बड़ा है अटल तुम्हारा, वर्तमान में जीना होगा। कल की चिंता क्यों करते हो, चिन्ता करने से क्या ही होगा।। जो भी होगा अच्छा होगा..!! ©Rishi Ranjan

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