इंसान की बेबसी ही इंसान को इंसान बनाए रखती है। इंस | हिंदी Shayari Vid

"इंसान की बेबसी ही इंसान को इंसान बनाए रखती है। इंसान को क़दम-क़दम पर अपनी बेबसी का एहसास न होता रहे अगर , तो इंसान ख़ुद को न जाने क्या समझने लग जाए ?? इंसान जब अपने रब के आगे भी अकड़ के खड़ा होने लगता है, फ़िर वो रब भी किसी न किसी तरह उसे उसकी बेबसी का एहसास करा ही देता है। लेकिन जब इंसान ख़ुद अपनी बेबसी को क़ुबूल कर के अपने रब के आगे आजीज़ी इख़्तियार कर लेता है, फ़िर वो रहीम रब भी उस इंसान के लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल देता है। ©Sh@kila Niy@z "

इंसान की बेबसी ही इंसान को इंसान बनाए रखती है। इंसान को क़दम-क़दम पर अपनी बेबसी का एहसास न होता रहे अगर , तो इंसान ख़ुद को न जाने क्या समझने लग जाए ?? इंसान जब अपने रब के आगे भी अकड़ के खड़ा होने लगता है, फ़िर वो रब भी किसी न किसी तरह उसे उसकी बेबसी का एहसास करा ही देता है। लेकिन जब इंसान ख़ुद अपनी बेबसी को क़ुबूल कर के अपने रब के आगे आजीज़ी इख़्तियार कर लेता है, फ़िर वो रहीम रब भी उस इंसान के लिए अपनी रहमत के दरवाज़े खोल देता है। ©Sh@kila Niy@z

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