अनसुना सा ये शब्द , हमने सुना पहली बार
अचानक आये मुसिबते, बिखरा दिये कईं घर
तकलीफ उनकों नही, जिनको है किस्मत का शुक्रगुज़ार
जिन्दा लास तो वो है, जो अब बने हैं बरोजगार
कही एैसा तो नही,कि हमहीं है इनके गुनाहगार
उम्मीद बस दुआ की, लौटा दे वो हसीन पल
फिर एक बार
✍ प्रनाब मोछारी
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