White आहट हुई जब दिल में ,बह रहा था इश्क का कोई दर | हिंदी कविता

"White आहट हुई जब दिल में ,बह रहा था इश्क का कोई दरिया तूफान की इक लहर सी क्या आई फिर रहा ना कोई जरिया सुकून की वो करते थे बात किसी रात पकड़ कर हाथों में हाथ बात मगर फिर ऐसी बनी कि ना रही कोई बात और रहा ना कोई साथ टकटकी लगाए करते रहे हम इंतजार कि किसी रोज तो होगी मुलाकात तकदीर के थे कुछ मंसूबे अलग शायद बस अब यादें ही रह जायेगी साथ उस खूबसूरत सफर को हम देखा करते थे और कहीं डूब जाया करते थे कुछ इस कदर वो पल खास थे कि हम आंसुओं की माला पिरोया करते थे आज कैद कर लिये हैं मैने वो पल दिल की इन तस्वीरों में दो पल निहार कर फिर से बंध जाता हूं गम की उन जंजीरों मे आज उस "बेवजह" की वजह जानने के लिए घूम रहा हूं आज फिर अपनी "शब्दों की दुनिया" में उस जवाब को ढूंढ़ रहा हूं चलता जा रहा हूं और थकता जा रहा हूं मगर हौसला नहीं हारा हूं दिल में कुछ सवाल लिये आज फिर किसी नये सफर की ओर मैं बढ़ता जा रहा हूं ©Gaurav Soni"

 White आहट हुई जब दिल में ,बह रहा था इश्क का कोई दरिया
तूफान की इक लहर सी क्या आई फिर रहा ना कोई जरिया
सुकून की वो करते थे बात किसी रात पकड़ कर हाथों में हाथ
बात मगर फिर ऐसी बनी कि ना रही कोई बात और रहा ना कोई साथ
टकटकी लगाए करते रहे हम इंतजार कि किसी रोज तो होगी मुलाकात
तकदीर के थे कुछ मंसूबे अलग शायद बस अब यादें ही रह जायेगी साथ
उस खूबसूरत सफर को हम देखा करते थे और कहीं डूब जाया करते थे
कुछ इस कदर वो पल खास थे कि हम आंसुओं की माला पिरोया करते थे 
आज कैद कर लिये हैं मैने वो पल दिल की इन तस्वीरों में
दो पल निहार कर फिर से बंध जाता हूं गम की उन जंजीरों मे
आज उस "बेवजह" की वजह जानने के लिए घूम रहा हूं 
आज फिर अपनी "शब्दों की दुनिया" में उस जवाब को ढूंढ़ रहा हूं
चलता जा रहा हूं और थकता जा रहा हूं मगर हौसला नहीं हारा हूं 
दिल में कुछ सवाल लिये आज फिर किसी नये सफर की ओर मैं बढ़ता जा रहा हूं

©Gaurav Soni

White आहट हुई जब दिल में ,बह रहा था इश्क का कोई दरिया तूफान की इक लहर सी क्या आई फिर रहा ना कोई जरिया सुकून की वो करते थे बात किसी रात पकड़ कर हाथों में हाथ बात मगर फिर ऐसी बनी कि ना रही कोई बात और रहा ना कोई साथ टकटकी लगाए करते रहे हम इंतजार कि किसी रोज तो होगी मुलाकात तकदीर के थे कुछ मंसूबे अलग शायद बस अब यादें ही रह जायेगी साथ उस खूबसूरत सफर को हम देखा करते थे और कहीं डूब जाया करते थे कुछ इस कदर वो पल खास थे कि हम आंसुओं की माला पिरोया करते थे आज कैद कर लिये हैं मैने वो पल दिल की इन तस्वीरों में दो पल निहार कर फिर से बंध जाता हूं गम की उन जंजीरों मे आज उस "बेवजह" की वजह जानने के लिए घूम रहा हूं आज फिर अपनी "शब्दों की दुनिया" में उस जवाब को ढूंढ़ रहा हूं चलता जा रहा हूं और थकता जा रहा हूं मगर हौसला नहीं हारा हूं दिल में कुछ सवाल लिये आज फिर किसी नये सफर की ओर मैं बढ़ता जा रहा हूं ©Gaurav Soni

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