a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रणय निवेद | English कविता

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रणय निवेदन तुम नहीं ! आप  कह  के बुलाया  होता ! बे वक़्त सोये दिल को न जगाया होता । दिल की कली फूटी थी तुझे जरा छूकर , काश !   तुमने  हाथ  न  बढ़ाया  होता । न जाने क्या-क्या ढूँढने लगी ,मैं खुद में , हाय ! दिल में ये दर्द ,ना जगाया  होता । सखियों से दूर रहने की ,खताँ मुझसे हुई , और तेरे रस्ते  पे सर  ,न  खपाया  होता । पहले ही ठीक थी मैं, दिल-खुश तबियत थी , यूँ   हँसते-हँसते  हमको  न  रुलाया   होता ! रातों   में    करवटें    मैंने   सौ-सौ    बदली , रह-रह   के   मुझको   यूँ   न  जगाया होता ; आना   न   था   तो  हमको    बताया होता ! या   मेरे   दिल   में  घर   न   बसाया  होता । रचनाकार -यशपाल सिंह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal'"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रणय निवेदन 
तुम नहीं ! आप  कह  के बुलाया  होता !
बे वक़्त सोये दिल को न जगाया होता ।
दिल की कली फूटी थी तुझे जरा छूकर ,
काश !   तुमने  हाथ  न  बढ़ाया  होता ।

न जाने क्या-क्या ढूँढने लगी ,मैं खुद में ,
हाय ! दिल में ये दर्द ,ना जगाया  होता ।
सखियों से दूर रहने की ,खताँ मुझसे हुई ,
और तेरे रस्ते  पे सर  ,न  खपाया  होता ।

पहले ही ठीक थी मैं, दिल-खुश तबियत थी ,
यूँ   हँसते-हँसते  हमको  न  रुलाया   होता !
रातों   में    करवटें    मैंने   सौ-सौ    बदली ,
रह-रह   के   मुझको   यूँ   न  जगाया होता ;

आना   न   था   तो  हमको    बताया होता !
या   मेरे   दिल   में  घर   न   बसाया  होता ।

रचनाकार -यशपाल सिंह "बादल"

©Yashpal singh gusain badal'

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रणय निवेदन तुम नहीं ! आप  कह  के बुलाया  होता ! बे वक़्त सोये दिल को न जगाया होता । दिल की कली फूटी थी तुझे जरा छूकर , काश !   तुमने  हाथ  न  बढ़ाया  होता । न जाने क्या-क्या ढूँढने लगी ,मैं खुद में , हाय ! दिल में ये दर्द ,ना जगाया  होता । सखियों से दूर रहने की ,खताँ मुझसे हुई , और तेरे रस्ते  पे सर  ,न  खपाया  होता । पहले ही ठीक थी मैं, दिल-खुश तबियत थी , यूँ   हँसते-हँसते  हमको  न  रुलाया   होता ! रातों   में    करवटें    मैंने   सौ-सौ    बदली , रह-रह   के   मुझको   यूँ   न  जगाया होता ; आना   न   था   तो  हमको    बताया होता ! या   मेरे   दिल   में  घर   न   बसाया  होता । रचनाकार -यशपाल सिंह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal'

#SunSet

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