a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रणय निवेदन
तुम नहीं ! आप कह के बुलाया होता !
बे वक़्त सोये दिल को न जगाया होता ।
दिल की कली फूटी थी तुझे जरा छूकर ,
काश ! तुमने हाथ न बढ़ाया होता ।
न जाने क्या-क्या ढूँढने लगी ,मैं खुद में ,
हाय ! दिल में ये दर्द ,ना जगाया होता ।
सखियों से दूर रहने की ,खताँ मुझसे हुई ,
और तेरे रस्ते पे सर ,न खपाया होता ।
पहले ही ठीक थी मैं, दिल-खुश तबियत थी ,
यूँ हँसते-हँसते हमको न रुलाया होता !
रातों में करवटें मैंने सौ-सौ बदली ,
रह-रह के मुझको यूँ न जगाया होता ;
आना न था तो हमको बताया होता !
या मेरे दिल में घर न बसाया होता ।
रचनाकार -यशपाल सिंह "बादल"
©Yashpal singh gusain badal'
#SunSet