मोमीता देबनाथ : एक ओर बेटी August 23, | हिंदी Poetry Video

"मोमीता देबनाथ : एक ओर बेटी August 23, 2024 To September 10,2024 09:24 A.M. To 12: 53 A.M. सिसकती रहीं और बेबस रहीं वो हैवानियत से भी ज्यादा कुछ और ज़िस्म से भी ज्यादा कुछ अपनी रूह पर सहती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज मारी गयी और ज़िस्म से नौची गयी वो आसूँओ की गूंज कहीं दीवारो से टकराती रहीं बहती सिसकियां और लहू आँखो से ज़मीन भी मातम मनाती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज तड़पती रही और ज़िस्म से नौची गयी दर्द की पराकाष्ठा से भी कुछ परे है तो (चरमसीमा) उस बेटी ने सही होगी उन दरिन्दों की क्रूरता की पराकाष्ठा से हवा भी सहमी होगी कितनी डरी और लाचार होगी वो तब जब वहशीपन की इन्तिहा हुई होगी क्या गुनाह था उसका , इन से पूछो तो सही परवाज़ के लिए तैयार थी वो (उड़ान) एक ख़्वाब था उसका और वो गरूर था माँ- बाप का कितनी बिजली गिराई होगी कितनी पीड़ा से वो निकली होगी इन दरिन्दों को सिर्फ हवस दिखी , न उसमें बहन दिखी, न उसमें माँ दिखी न गर्वित करने वाली समाज की वो औरत दिखी न दिखी उसमें एक उम्मीद न दिखी उसमें एक ज़िन्दगी न दिखी घर से निकलते वक्त चोखट पर खड़ी वो औरत न दिखी जन्म देने वाली और दुवा पढ़ने वाली वो औरत न दिखी खुद की वो छोटी नन्ही सी परी बिटिया दिख जाती तो शायद आज 'मोमीता' जी पाती , जिन्दा होती ©Anurag Mankhand "

मोमीता देबनाथ : एक ओर बेटी August 23, 2024 To September 10,2024 09:24 A.M. To 12: 53 A.M. सिसकती रहीं और बेबस रहीं वो हैवानियत से भी ज्यादा कुछ और ज़िस्म से भी ज्यादा कुछ अपनी रूह पर सहती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज मारी गयी और ज़िस्म से नौची गयी वो आसूँओ की गूंज कहीं दीवारो से टकराती रहीं बहती सिसकियां और लहू आँखो से ज़मीन भी मातम मनाती रहीं माँ दुर्गा के इस शहर में बेटी आज तड़पती रही और ज़िस्म से नौची गयी दर्द की पराकाष्ठा से भी कुछ परे है तो (चरमसीमा) उस बेटी ने सही होगी उन दरिन्दों की क्रूरता की पराकाष्ठा से हवा भी सहमी होगी कितनी डरी और लाचार होगी वो तब जब वहशीपन की इन्तिहा हुई होगी क्या गुनाह था उसका , इन से पूछो तो सही परवाज़ के लिए तैयार थी वो (उड़ान) एक ख़्वाब था उसका और वो गरूर था माँ- बाप का कितनी बिजली गिराई होगी कितनी पीड़ा से वो निकली होगी इन दरिन्दों को सिर्फ हवस दिखी , न उसमें बहन दिखी, न उसमें माँ दिखी न गर्वित करने वाली समाज की वो औरत दिखी न दिखी उसमें एक उम्मीद न दिखी उसमें एक ज़िन्दगी न दिखी घर से निकलते वक्त चोखट पर खड़ी वो औरत न दिखी जन्म देने वाली और दुवा पढ़ने वाली वो औरत न दिखी खुद की वो छोटी नन्ही सी परी बिटिया दिख जाती तो शायद आज 'मोमीता' जी पाती , जिन्दा होती ©Anurag Mankhand

#Stoprape Tribute To
Momita Debnath

People who shared love close

More like this

सब कुछ पैसे कमाने के लिए हो रहा है आज की दुनिया में दोस्तो ,कोई भूखा है रहने दो ,बेरोजगार है ढूंढ लेगा किसी को दिक्कत नहीं ,कोई कुछ भी करे बस जिंदा दिखाई दे ! ©hazari lal ......doctor

#विचार  सब कुछ पैसे कमाने के लिए हो रहा है आज की दुनिया में दोस्तो ,कोई भूखा है रहने दो ,बेरोजगार है ढूंढ लेगा किसी को दिक्कत नहीं ,कोई कुछ भी करे बस जिंदा दिखाई दे !

©hazari lal ......doctor

सब कुछ पैसे कमाने के लिए हो रहा है आज की दुनिया में दोस्तो ,कोई भूखा है रहने दो ,बेरोजगार है ढूंढ लेगा किसी को दिक्कत नहीं ,कोई कुछ भी करे बस जिंदा दिखाई दे ! ©hazari lal ......doctor

72 Love

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ఒకరి జీవితంలో మనం వారికి ఎంత ముఖ్యం అనేది... వారు మనకి ఇచ్చే సమయం... మాటల తిరుని బట్టే తెలుస్తుంది... ©Nithyaveer

#కవిత్వం #coplegoals  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ఒకరి జీవితంలో
 మనం వారికి ఎంత ముఖ్యం అనేది...
 వారు మనకి ఇచ్చే సమయం...
మాటల తిరుని బట్టే తెలుస్తుంది...

©Nithyaveer

#coplegoals

34 Love

White fzifizzifzoffizifzfizfixfizfix ©Anand Anand dhanu

#Thinking #Quotes #fg  White fzifizzifzoffizifzfizfixfizfix

©Anand Anand dhanu

#Thinking #fg

35 Love

Meri jindagi mein Ajnabi ka intezar.main kya Karu ajnabi se mujhe pyar hai ©Laxmi singh

#फ़िल्म #intezar  Meri jindagi mein Ajnabi ka intezar.main kya Karu ajnabi se mujhe pyar hai

©Laxmi singh

#intezar

36 Love

White Good night 🥰🥰 ©Riya goyal

#Thinking  White Good night 
🥰🥰

©Riya goyal

#Thinking

31 Love

White We find light where darkness isn't glorified, yet still leaves us petrified... ©wild flower

#Sad_Status #darkness #Light  White We find light where
darkness isn't glorified,
yet still leaves us petrified...

©wild flower
Trending Topic