रातभर ग़ालिब की बाते रखी रहतीं हैं तकिए ताले सुबहा | हिंदी शायरी

"रातभर ग़ालिब की बाते रखी रहतीं हैं तकिए ताले सुबहा होते ही रोज ही दिल बिस्मिल हो जाता है। n ©Ashishwords"

 रातभर ग़ालिब की बाते रखी रहतीं हैं तकिए ताले
सुबहा होते ही रोज ही दिल बिस्मिल हो जाता है।
















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©Ashishwords

रातभर ग़ालिब की बाते रखी रहतीं हैं तकिए ताले सुबहा होते ही रोज ही दिल बिस्मिल हो जाता है। n ©Ashishwords

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