"मैं बारिश की बोली समझता न था
हवाओं से मै यूं उलझता न था।
है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर।
कहीं पर हो राते, कहीं पे सवेरे।
आवारगी ही रही मेरे साथ ।
ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर ।"
मैं बारिश की बोली समझता न था
हवाओं से मै यूं उलझता न था।
है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर।
कहीं पर हो राते, कहीं पे सवेरे।
आवारगी ही रही मेरे साथ ।
ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर ।