मैं बारिश की बोली समझता न था हवाओं से मै यूं उलझत

"मैं बारिश की बोली समझता न था हवाओं से मै यूं उलझता न था। है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर। कहीं पर हो राते, कहीं पे सवेरे। आवारगी ही रही मेरे साथ । ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर ।"

 मैं बारिश की बोली समझता न था
 हवाओं से मै यूं उलझता न था।
है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर। 
कहीं पर हो राते,  कहीं पे  सवेरे। 
आवारगी ही  रही मेरे साथ ।
ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर ।

मैं बारिश की बोली समझता न था हवाओं से मै यूं उलझता न था। है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर। कहीं पर हो राते, कहीं पे सवेरे। आवारगी ही रही मेरे साथ । ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर ।

#NvnShekhawat

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