कल फिर उस झूठी दुनिया का दीदार करना है| ना कम ना ज़

"कल फिर उस झूठी दुनिया का दीदार करना है| ना कम ना ज़्यादा मगर पूरा स्वीकार करना है| - दीक्षा सचान ©Diksha Sachan"

 कल फिर उस झूठी दुनिया का दीदार करना है|
ना कम ना ज़्यादा मगर पूरा स्वीकार करना है|
- दीक्षा सचान

©Diksha Sachan

कल फिर उस झूठी दुनिया का दीदार करना है| ना कम ना ज़्यादा मगर पूरा स्वीकार करना है| - दीक्षा सचान ©Diksha Sachan

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