White जब लफ्ज़ों ने चाहा तुम्हें बयां करना, दिल ने | हिंदी Comedy

"White जब लफ्ज़ों ने चाहा तुम्हें बयां करना, दिल ने एक राज़ सा छुपा लिया। शब्दों ने कोशिशें लाख की, पर एहसासों ने खुद को सजा दिया। कहना चाहा था तुम्हारे बिना, खुशबू भी बेमानी लगती है। पर लफ्ज़ ठहर गए होंठों पर, जैसे कोई कहानी अधूरी लगती है। जब आंखों में झांकने का वक़्त आया, तो शब्द कांपने लगे मेरे। जैसे तुम्हारे प्यार की गहराई, इन सतरों में बंधने से इंकार करे। बेईमान हैं मेरे ये लफ्ज़, जो दिल की बात कह न पाए। तुम्हारे करीब आकर भी, तुम्हें पूरी तरह समझा न पाए। हर बार जब तुम्हें देखता हूं, एक नयी कविता बनती है। पर उस कविता का पहला अक्षर, कभी कागज़ पर उतरती ही नहीं। तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारा स्पर्श, ये सब लफ्ज़ों से परे हैं। जो लिखूं, वो अधूरा सा लगे, जैसे तुमसे बिना मिले अधूरे हैं। इसलिए नाम रखा 'बेईमान लफ्ज़', जो सच्चा होकर भी झूठा है। क्योंकि जो तुम्हें लिखने की कोशिश करे, वो कभी भी पूरी तरह पूरा है? तुम ही मेरी हर बात हो, तुम ही मेरे खामोश सवाल। लफ्ज़ न भी कहें तो क्या, तुम तो पढ़ लोगे मेरा हाल। ©Avinash Jha"

 White जब लफ्ज़ों ने चाहा तुम्हें बयां करना,
दिल ने एक राज़ सा छुपा लिया।
शब्दों ने कोशिशें लाख की,
पर एहसासों ने खुद को सजा दिया।

कहना चाहा था तुम्हारे बिना,
खुशबू भी बेमानी लगती है।
पर लफ्ज़ ठहर गए होंठों पर,
जैसे कोई कहानी अधूरी लगती है।

जब आंखों में झांकने का वक़्त आया,
तो शब्द कांपने लगे मेरे।
जैसे तुम्हारे प्यार की गहराई,
इन सतरों में बंधने से इंकार करे।

बेईमान हैं मेरे ये लफ्ज़,
जो दिल की बात कह न पाए।
तुम्हारे करीब आकर भी,
तुम्हें पूरी तरह समझा न पाए।

हर बार जब तुम्हें देखता हूं,
एक नयी कविता बनती है।
पर उस कविता का पहला अक्षर,
कभी कागज़ पर उतरती ही नहीं।

तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारा स्पर्श,
ये सब लफ्ज़ों से परे हैं।
जो लिखूं, वो अधूरा सा लगे,
जैसे तुमसे बिना मिले अधूरे हैं।

इसलिए नाम रखा 'बेईमान लफ्ज़',
जो सच्चा होकर भी झूठा है।
क्योंकि जो तुम्हें लिखने की कोशिश करे,
वो कभी भी पूरी तरह पूरा है?

तुम ही मेरी हर बात हो,
तुम ही मेरे खामोश सवाल।
लफ्ज़ न भी कहें तो क्या,
तुम तो पढ़ लोगे मेरा हाल।

©Avinash Jha

White जब लफ्ज़ों ने चाहा तुम्हें बयां करना, दिल ने एक राज़ सा छुपा लिया। शब्दों ने कोशिशें लाख की, पर एहसासों ने खुद को सजा दिया। कहना चाहा था तुम्हारे बिना, खुशबू भी बेमानी लगती है। पर लफ्ज़ ठहर गए होंठों पर, जैसे कोई कहानी अधूरी लगती है। जब आंखों में झांकने का वक़्त आया, तो शब्द कांपने लगे मेरे। जैसे तुम्हारे प्यार की गहराई, इन सतरों में बंधने से इंकार करे। बेईमान हैं मेरे ये लफ्ज़, जो दिल की बात कह न पाए। तुम्हारे करीब आकर भी, तुम्हें पूरी तरह समझा न पाए। हर बार जब तुम्हें देखता हूं, एक नयी कविता बनती है। पर उस कविता का पहला अक्षर, कभी कागज़ पर उतरती ही नहीं। तुम्हारी मुस्कान, तुम्हारा स्पर्श, ये सब लफ्ज़ों से परे हैं। जो लिखूं, वो अधूरा सा लगे, जैसे तुमसे बिना मिले अधूरे हैं। इसलिए नाम रखा 'बेईमान लफ्ज़', जो सच्चा होकर भी झूठा है। क्योंकि जो तुम्हें लिखने की कोशिश करे, वो कभी भी पूरी तरह पूरा है? तुम ही मेरी हर बात हो, तुम ही मेरे खामोश सवाल। लफ्ज़ न भी कहें तो क्या, तुम तो पढ़ लोगे मेरा हाल। ©Avinash Jha

बेईमान लफ्ज़
#good_night #aestheticthoughts #penningthoughts #penname

People who shared love close

More like this

Trending Topic