ज़रीन और तरीन लफ्ज़ का लिबास ओढ़कर, तल्ख़ गरज़ हो | हिंदी शायरी

"ज़रीन और तरीन लफ्ज़ का लिबास ओढ़कर, तल्ख़ गरज़ हो मिल्कियत दिखा रहे हैं.......! बेआबरू फिरे दर-बदर थे जो कभी, देखिए सलीक-ए-तौर वो हमको सिखा रहे हैं...!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya"

 ज़रीन और तरीन 
लफ्ज़ का लिबास ओढ़कर,
तल्ख़ गरज़ हो मिल्कियत दिखा रहे हैं.......!
बेआबरू फिरे 
दर-बदर थे जो कभी,
देखिए सलीक-ए-तौर वो हमको सिखा रहे हैं...!!
@पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya

ज़रीन और तरीन लफ्ज़ का लिबास ओढ़कर, तल्ख़ गरज़ हो मिल्कियत दिखा रहे हैं.......! बेआबरू फिरे दर-बदर थे जो कभी, देखिए सलीक-ए-तौर वो हमको सिखा रहे हैं...!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya

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