White पल्लव की डायरी हिंसा झूठ चोरी अगर कर्म बन जा | हिंदी कविता

"White पल्लव की डायरी हिंसा झूठ चोरी अगर कर्म बन जाये सतत जीव को सताकर परिग्रह की परणति बन जाये मति के मद में पशुओं और जीवो को काटकर क्षुधा अपनी मिटाये तामसिक प्रवत्ति ही राक्षसी प्रवत्ति है जो लख चौरासी में आत्म भम्रण कराये राजा हो या सम्राट,पाप की गठरी जिसने बाँधी नरको की यातनाये सागरो तक की है इसलिये चिंतवन निज में निज का हो नही तो भटकाव पुनर्जन्मों तक का है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 White पल्लव की डायरी
हिंसा झूठ चोरी अगर कर्म बन जाये
सतत जीव को सताकर
परिग्रह की परणति बन जाये
मति के मद में
पशुओं और जीवो को काटकर
 क्षुधा अपनी मिटाये
तामसिक प्रवत्ति ही राक्षसी प्रवत्ति है
जो लख चौरासी में आत्म भम्रण कराये
राजा हो या सम्राट,पाप की गठरी जिसने बाँधी
नरको की यातनाये सागरो तक की है
इसलिये चिंतवन निज में निज का हो
नही तो भटकाव पुनर्जन्मों तक का है
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

White पल्लव की डायरी हिंसा झूठ चोरी अगर कर्म बन जाये सतत जीव को सताकर परिग्रह की परणति बन जाये मति के मद में पशुओं और जीवो को काटकर क्षुधा अपनी मिटाये तामसिक प्रवत्ति ही राक्षसी प्रवत्ति है जो लख चौरासी में आत्म भम्रण कराये राजा हो या सम्राट,पाप की गठरी जिसने बाँधी नरको की यातनाये सागरो तक की है इसलिये चिंतवन निज में निज का हो नही तो भटकाव पुनर्जन्मों तक का है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes नही तो भटकाव पुनर्जन्मों तक का है

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