New Year 2025 इक साल जिंदगी का लुटा दिया फ़िर तेरे बग़ैर।
जिंदगी ने सीखा दिया जी सकते हैं तेरे बग़ैर।।
जिसने अपनी शख्सीयत को मार दिया था ख़ुद ही।
उसकी शख़्स में जिंदादिली बाक़ी है तेरे बग़ैर।।
यूँ न समझना कि रोते रहेंगे ताउम्र तेरे ग़म में।
हाँ फिर भी ज़िंदगी खुदकुशी लगती है तेरे बग़ैर।।
बदलती तारीखें औऱ बदलते कैलेंडर ने बता दिया है।
हम ख़ुद भी ख़ुश रह सकते हैं तेरे बग़ैर।।
©GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI
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