White एक दूजे के हाल पर हँसते हुए लोग... अपनों के | हिंदी शायरी

"White एक दूजे के हाल पर हँसते हुए लोग... अपनों के बीच अपनेपन को तरसते हुए लोग...!! स्वार्थ के दलदल में फंसते हुए लोग... शराफत की गलियाँ छोड़ जुर्म के मोहल्लों में बसते हुए लोग...!! कोई पूछे कि "कलयुग" क्या हैं तो कहना... महंगी हुई "इंसानियत" सस्ते हुए लोग...!! ©Ashish Mishra"

 White एक दूजे के हाल पर हँसते हुए लोग...
अपनों के बीच अपनेपन को तरसते हुए लोग...!!

स्वार्थ के दलदल में फंसते हुए लोग...
शराफत की गलियाँ छोड़ जुर्म के मोहल्लों में बसते हुए लोग...!!

कोई पूछे कि "कलयुग" क्या हैं तो कहना...
महंगी हुई "इंसानियत" सस्ते हुए लोग...!!

©Ashish Mishra

White एक दूजे के हाल पर हँसते हुए लोग... अपनों के बीच अपनेपन को तरसते हुए लोग...!! स्वार्थ के दलदल में फंसते हुए लोग... शराफत की गलियाँ छोड़ जुर्म के मोहल्लों में बसते हुए लोग...!! कोई पूछे कि "कलयुग" क्या हैं तो कहना... महंगी हुई "इंसानियत" सस्ते हुए लोग...!! ©Ashish Mishra

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