रचना दिनांक 23 12, 2024 वार,, सोमवार समय सुबह पांच | हिंदी मोटिवेशनल

"रचना दिनांक 23 12, 2024 वार,, सोमवार समय सुबह पांच बजे, ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से , अर्जित विचारोक्ति सम सामयिक शीतकालीन वातावरण बना हुआ है््् ््् अंसख्य जीव जीवाश्म तंन्तु वनस्पतियों से सुसज्जित है, जन जीवन जलचर प्राकृतिक सौंदर्यता जल की वनस्पतियां में, अच्छादित वन जंगल पहाड़ धरती सब कुछ जल के मध्य समाहित है ्् रचनात्मक है तो दुनिया कहेगी और सुनेगी जो भी हो,, वह जीवित ईश्वर सत्य ईश प्राप्ति प्रत्यक्ष वनस्पतियों में, पादप प्रजातियां में जलचर रजनीचर तल वितल रसातल में, अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है , , जो जींव जन्तु विज्ञान जगत में सूक्ष्म शरीर काया माया मोह , ््मद में मानसिक रूप से जीवन श्रंगारित किया गया है, ्भावचित्र ् मनुष्य मनुज देह में, प्राचीन अर्वाचीन काल में पुरातत्व सर्वेक्षण संग़हालय में, आदिवासी अनादिकाल में वनचर जींव नर रुप में ,, वानर,कपि, अंजनी माई और केशरी नंदन पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते ,, शिवरुद़ाअवतार हनुमंत त्रेतायुग में श्री राम और , मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ नर रुप में शापित श्राप में नारद के द्वारा ,।।1।। हनुमंत स्वयं हिन्दू धर्म नहीं सनातन विचार सच है,, असूरराज जो भगवान विष्णु केअवतरित प्रगट पार्षद जय और विजय थे, जो रावण और कुम्भकरण जो रावण स्वयं शिव भक्त था।।2।। मैं दावे से कह सकते है सृष्टिकर्ता ब्रह्मा विष्णु महेश ने प्रसंग का, अध्ययन कर रामचरित मानस में पढ़कर आनंद लीजिए , सही विषय से पथभष्ट ना करें।।3।। कवि शैलेंद्र आनंद 23दिसमर 2024 ©Shailendra Anand"

 रचना दिनांक 23 12, 2024
वार,, सोमवार
समय सुबह पांच बजे,
््भावचित्र ्
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से ,
अर्जित विचारोक्ति सम सामयिक शीतकालीन वातावरण बना हुआ है्््
्््
अंसख्य जीव जीवाश्म तंन्तु वनस्पतियों से सुसज्जित है,
 जन जीवन जलचर प्राकृतिक सौंदर्यता जल की वनस्पतियां में,
 अच्छादित वन जंगल पहाड़ धरती सब कुछ जल के मध्य समाहित है ््
रचनात्मक है तो दुनिया कहेगी और सुनेगी जो भी हो,,
वह जीवित ईश्वर सत्य ईश प्राप्ति प्रत्यक्ष वनस्पतियों में,
पादप प्रजातियां में जलचर रजनीचर तल वितल रसातल में,
अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है ,
, जो जींव जन्तु विज्ञान जगत में सूक्ष्म शरीर काया माया मोह ,
््मद में मानसिक रूप से जीवन श्रंगारित   किया गया है,
  ्भावचित्र ्
         
मनुष्य मनुज देह में, प्राचीन अर्वाचीन काल में पुरातत्व सर्वेक्षण संग़हालय में,
 आदिवासी अनादिकाल में वनचर जींव नर रुप में ,,
वानर,कपि, अंजनी माई और केशरी नंदन पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते ,,
शिवरुद़ाअवतार हनुमंत त्रेतायुग में श्री राम और ,
मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ नर रुप में शापित श्राप में नारद के द्वारा ,।।1।।
हनुमंत स्वयं हिन्दू धर्म नहीं सनातन विचार सच है,,
असूरराज जो भगवान विष्णु केअवतरित प्रगट पार्षद जय और विजय थे,
 जो रावण और कुम्भकरण जो रावण स्वयं शिव भक्त था।।2।।
मैं दावे से कह सकते है सृष्टिकर्ता ब्रह्मा विष्णु महेश ने प्रसंग का,
 अध्ययन कर रामचरित मानस में पढ़कर आनंद लीजिए ,
सही विषय से पथभष्ट ना करें।।3।।
              कवि शैलेंद्र आनंद 
23दिसमर 2024

©Shailendra Anand

रचना दिनांक 23 12, 2024 वार,, सोमवार समय सुबह पांच बजे, ््भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््रचना संवरचनाकी धर्मी रचनाकार कवित्व शक्ति से , अर्जित विचारोक्ति सम सामयिक शीतकालीन वातावरण बना हुआ है््् ््् अंसख्य जीव जीवाश्म तंन्तु वनस्पतियों से सुसज्जित है, जन जीवन जलचर प्राकृतिक सौंदर्यता जल की वनस्पतियां में, अच्छादित वन जंगल पहाड़ धरती सब कुछ जल के मध्य समाहित है ्् रचनात्मक है तो दुनिया कहेगी और सुनेगी जो भी हो,, वह जीवित ईश्वर सत्य ईश प्राप्ति प्रत्यक्ष वनस्पतियों में, पादप प्रजातियां में जलचर रजनीचर तल वितल रसातल में, अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है , , जो जींव जन्तु विज्ञान जगत में सूक्ष्म शरीर काया माया मोह , ््मद में मानसिक रूप से जीवन श्रंगारित किया गया है, ्भावचित्र ् मनुष्य मनुज देह में, प्राचीन अर्वाचीन काल में पुरातत्व सर्वेक्षण संग़हालय में, आदिवासी अनादिकाल में वनचर जींव नर रुप में ,, वानर,कपि, अंजनी माई और केशरी नंदन पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते ,, शिवरुद़ाअवतार हनुमंत त्रेतायुग में श्री राम और , मर्यादा पुरुषोत्तम के साथ नर रुप में शापित श्राप में नारद के द्वारा ,।।1।। हनुमंत स्वयं हिन्दू धर्म नहीं सनातन विचार सच है,, असूरराज जो भगवान विष्णु केअवतरित प्रगट पार्षद जय और विजय थे, जो रावण और कुम्भकरण जो रावण स्वयं शिव भक्त था।।2।। मैं दावे से कह सकते है सृष्टिकर्ता ब्रह्मा विष्णु महेश ने प्रसंग का, अध्ययन कर रामचरित मानस में पढ़कर आनंद लीजिए , सही विषय से पथभष्ट ना करें।।3।। कवि शैलेंद्र आनंद 23दिसमर 2024 ©Shailendra Anand

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कवि शैलेंद्र आनंद

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