a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न जी भर के | हिंदी कविता

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न जी भर के देखा, न कुछ बात की। बङी आरजू थी मुलाकात की। उजालों की परियां नहाने लगीं, नदी गुनगुनायी खयालात की। मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी, जबाँ सब समझते हैं जज़्बात की। बशीर बद्र ©Dr Archana"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न जी भर के देखा,  न कुछ बात की।
बङी आरजू थी मुलाकात की।
उजालों की परियां नहाने लगीं, 
नदी गुनगुनायी खयालात की।
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी,
जबाँ सब समझते हैं जज़्बात की। 
            बशीर बद्र

©Dr Archana

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset न जी भर के देखा, न कुछ बात की। बङी आरजू थी मुलाकात की। उजालों की परियां नहाने लगीं, नदी गुनगुनायी खयालात की। मैं चुप था तो चलती हवा रुक गयी, जबाँ सब समझते हैं जज़्बात की। बशीर बद्र ©Dr Archana

#SunSet

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