अधूरी किताब के पन्नो में गुम हूं
है अल्फाज बहुत पर मैं मोन हूं
जगह बहुत है पर दायरे में बंद हूं
आंखो में दर्द छुपा मन में नम हूं
है सब साथ कहने को तो पर
मैं अपने अकेलेपन में मगन हूं
गुजर रही ज़िंदगी पल पल यूंही
छूटते लोग रास्तों में कहीं यूंही
अपने मोन से पूछता हूं
- मैं कौन हूं -
अकेलेपन में मगन
- मैं कौन हूं -
©Kavi Harsh Lahoti