गागर में सिमटा हुआ सागर हूं मैं।
आफत नहीं नजाकत और में।
चले साथ तो कुछ मिलेगा नहीं तो वापस
ऐसे ही ऐसे ही ऐसे ही उम्मीदें पीरोना रोना सोना।
मकाम नहीं तो काम तो है कर जा कर।
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हां हां आफत नहीं नजाकत और मैं
साथ चले तो कुछ हीलेगा।
हिस्से का मेरा मुझे ही मिलेगा।
👌 👌