चौराहा बुला रहा पथिकों को अपनी गोदी में चौराहा थका | हिंदी कविता

"चौराहा बुला रहा पथिकों को अपनी गोदी में चौराहा थका हुआ कोई भी आए देख के बोले आहा ! कहता थोड़ी देर ठहर जा सुस्ता ले अब प्यारे मेरी भी रौनक बढ़ जाए पंथी तेरे सहारे देख दुकानें सजा रखीं हैं कर लो तुम जलपान तुम्हें यहाँ पर मिल सकता है जरूरत का सामान बेखुद जीवन के पथ में जब चौराहे मिलते लोगों के मुरझाए चेहरे वहाँ ठहर कर खिलते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 चौराहा
बुला रहा पथिकों को अपनी
गोदी में चौराहा
थका हुआ कोई भी आए
देख के बोले आहा  ! 

कहता थोड़ी देर ठहर जा
सुस्ता ले अब प्यारे
मेरी भी रौनक बढ़ जाए
पंथी तेरे सहारे

देख दुकानें सजा रखीं हैं
कर लो तुम जलपान
तुम्हें यहाँ पर मिल सकता है
जरूरत का सामान

बेखुद जीवन के पथ में
जब चौराहे मिलते
लोगों के मुरझाए चेहरे
वहाँ ठहर कर खिलते

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

चौराहा बुला रहा पथिकों को अपनी गोदी में चौराहा थका हुआ कोई भी आए देख के बोले आहा ! कहता थोड़ी देर ठहर जा सुस्ता ले अब प्यारे मेरी भी रौनक बढ़ जाए पंथी तेरे सहारे देख दुकानें सजा रखीं हैं कर लो तुम जलपान तुम्हें यहाँ पर मिल सकता है जरूरत का सामान बेखुद जीवन के पथ में जब चौराहे मिलते लोगों के मुरझाए चेहरे वहाँ ठहर कर खिलते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#चौराहा

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