White बहुत से ख्वाब मरते
एक ख्वाब के खातिर ।
कई ख्वाब की मजार पर
घर का ख्वाब खड़ा होता है।
एक घर के लिए
पापा के जूते
माँ की साड़ी
बबलू की पेंट
और ठंड के लिए नया कोट
जाने कितने बलिदान होते हैं।
स्कूल की फीस
बहन की शादी
भाभी के गहने
सब इंतजार करते
नये घर का।
पापा बीड़ी छोड़ते
माँ तम्बाकू
और गोलू खिलौने नहीं खरीदता
आखिर तब कहीं
बनता एक घर ।
एक घर बनाने में
खप जाती जिंदगियाँ।
कई जिंदगी का हासिल
एक घर होता है।
टूटे घर की किस्त का
संभव नहीं अनुदान।
घर को ढहाना
एक ख्वाब का ढहना है।
©Shravan Solanki
#alone_sad_shayri