मर्द क्यों रोए नहीं? समाज ने हमेशा मर्दों को मजबू | हिंदी Life

""मर्द क्यों रोए नहीं? समाज ने हमेशा मर्दों को मजबूत बनने की नसीहत दी है, लेकिन क्या उन्हें भावनाएँ महसूस करने का हक नहीं? आँसू कमजोरी का प्रतीक नहीं, बल्कि दिल की गहराईयों का आईना हैं। हर इंसान के पास दर्द बयां करने का हक है, चाहे वो मर्द हो या औरत। रोने से दिल का बोझ हल्का होता है और ये साहस का प्रतीक है, कमजोरी का नहीं।" ©Anil gupta"

 "मर्द क्यों रोए नहीं? समाज ने हमेशा मर्दों को मजबूत बनने की नसीहत दी है, लेकिन क्या उन्हें भावनाएँ महसूस करने का हक नहीं? आँसू कमजोरी का प्रतीक नहीं, बल्कि दिल की गहराईयों का आईना हैं। हर इंसान के पास दर्द बयां करने का हक है, चाहे वो मर्द हो या औरत। रोने से दिल का बोझ हल्का होता है और ये साहस का प्रतीक है, कमजोरी का नहीं।"

©Anil gupta

"मर्द क्यों रोए नहीं? समाज ने हमेशा मर्दों को मजबूत बनने की नसीहत दी है, लेकिन क्या उन्हें भावनाएँ महसूस करने का हक नहीं? आँसू कमजोरी का प्रतीक नहीं, बल्कि दिल की गहराईयों का आईना हैं। हर इंसान के पास दर्द बयां करने का हक है, चाहे वो मर्द हो या औरत। रोने से दिल का बोझ हल्का होता है और ये साहस का प्रतीक है, कमजोरी का नहीं।" ©Anil gupta

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