White मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश | हिंदी कविता

"White मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक से लिपटकर, मिल जाये एक ऊर्जा नयी । जिन्दगी भर शांत नदी सी, बहती ही रही। तेरे भीतर दुनिया कोई, साथ चलती रही। नींद नहीं तेरे आँखों में, पर छोटे छोटे सपनें कई। रिश्तो के धागों से बुनकर, घर आँगन को सजाई तू। हम लय गति से भटकें जब, तब तब मादल होती तू। मेरा सारा जीवन तेरे नाम। तुझ पर ही मेरा सब कुर्बान। ©DrNidhi Srivastava"

 White मैं क्या मेरा वजूद क्या,
मेरी आस्था मेरा विश्वास तू।
दर्द के रेत में भी,
स्नेह की बहती नदी तू।
घने कोहरे में,
आस की मद्धम रोशनी तू।
तेरे अंक से लिपटकर,
मिल जाये एक ऊर्जा नयी ।
जिन्दगी भर शांत नदी सी,
बहती ही रही।
तेरे भीतर दुनिया कोई,
साथ चलती रही।
नींद नहीं तेरे आँखों में,
पर छोटे छोटे सपनें कई।
रिश्तो के धागों से बुनकर,
घर आँगन को सजाई तू।
हम लय गति से भटकें जब,
तब तब मादल होती तू।
मेरा सारा जीवन तेरे नाम।
तुझ पर ही मेरा सब कुर्बान।

©DrNidhi Srivastava

White मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक से लिपटकर, मिल जाये एक ऊर्जा नयी । जिन्दगी भर शांत नदी सी, बहती ही रही। तेरे भीतर दुनिया कोई, साथ चलती रही। नींद नहीं तेरे आँखों में, पर छोटे छोटे सपनें कई। रिश्तो के धागों से बुनकर, घर आँगन को सजाई तू। हम लय गति से भटकें जब, तब तब मादल होती तू। मेरा सारा जीवन तेरे नाम। तुझ पर ही मेरा सब कुर्बान। ©DrNidhi Srivastava

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