White “चांद तन्हा ही रहा” चांद तन्हा ही रहा, सफर | हिंदी क

"White “चांद तन्हा ही रहा” चांद तन्हा ही रहा, सफर करता रहा। मंजिल मिली नहीं कभी, फिर भी चलता ही रहा। चांद तन्हा ही रहा। सूरज से मिली जलन, कभी दिखाता नहीं। अपने शीतल किरन, जग को देता ही रहा। चांद तन्हा ही रहा। टूट कर जब सिमटने लगा, खुद को बिखरने से रोकने लगा। अमावस से निकल आंसुओं को मिटा, पूनम की छटा बिखेरने लगा। चांद तन्हा ही रहा।। ©® डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद” ©DrNidhi Srivastava"

 White “चांद तन्हा ही रहा”

चांद तन्हा ही रहा,
सफर करता रहा।
मंजिल मिली नहीं कभी,
फिर भी चलता ही रहा।
चांद तन्हा ही रहा।

सूरज से मिली जलन,
कभी दिखाता नहीं।
अपने शीतल किरन,
जग को देता ही रहा।
चांद तन्हा ही रहा।

टूट कर जब सिमटने लगा,
खुद को बिखरने से रोकने लगा।
अमावस से निकल आंसुओं को मिटा,
पूनम की छटा बिखेरने लगा।
चांद तन्हा ही रहा।।
©® डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”

©DrNidhi Srivastava

White “चांद तन्हा ही रहा” चांद तन्हा ही रहा, सफर करता रहा। मंजिल मिली नहीं कभी, फिर भी चलता ही रहा। चांद तन्हा ही रहा। सूरज से मिली जलन, कभी दिखाता नहीं। अपने शीतल किरन, जग को देता ही रहा। चांद तन्हा ही रहा। टूट कर जब सिमटने लगा, खुद को बिखरने से रोकने लगा। अमावस से निकल आंसुओं को मिटा, पूनम की छटा बिखेरने लगा। चांद तन्हा ही रहा।। ©® डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद” ©DrNidhi Srivastava

#good_night #chaand #Hindi shayri

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