भाषा-अवधी👇
चला चली अवध अवधिया सजय
दुल्हनिया के अस,
जस; जगत बखान हो ...
चले गए तकत भगत अनगिनत
देखत जउन शुभदिन हम इ जहान हो..
बरस की तरस सरस हरि पाए लिहे..
हरष कि दरश सरयू तट भान हो..
दीप उजियार मन गगन विहार
चहुँओर है पुकार
'राम'🙏 आए निजधाम हो...❤️
अर्चना'अनुपमक्रान्ति'
(अस-जैसे,जस-यश,भान-दिव्य प्रकाश)
©Archana pandey
#राममंदिर_आए_निजधाम_हो🙏