इस दिल को है आराम कहाँ ।
दिल तो है इक बंजारा
बंजारे का है धाम कहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।
दिल तो है इक यायावर
है सुबह यहाँ तो शाम वहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।
बड़ा कमासुत है यह दिल
अब काम यहाँ फिर काम वहाँ
इस दिल को है आराम कहाँ ।
भावों के भव सागर में
ग़ोते खाना इसकी दुनिया
इस दिल को है आराम कहाँ ।
©Hari Shanker Kumar
#इस दिल को है आराम कहाँ ?