White सगुण भक्ति काव्य धारा राम और कृष्ण दो प्रमुख | हिंदी विचार

"White सगुण भक्ति काव्य धारा राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में कई सिद्धांत बताए हैं: 1 प्रेम में त्याग और निःस्वार्थता होना ज़रूरी है. 2 प्रेम को छीना या मांगा नहीं जा सकता. 3 प्रेम एक भावना है जो किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी के प्रति समर्पित करती है. 4 प्यार बंधन नहीं है, बल्कि आज़ादी है. 5 सच्चा प्यार आपको अकल्पनीय तरीकों से बढ़ने में मदद करता है. 6 प्रेम इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में परीक्षा की कसौटी पर चढ़ता है. 7 सच्चे साधक इन दुर्निवार अवस्थाओं में प्रेम से विचलित नहीं होते. 8 प्रेम मनुष्य हृदय की सर्वोत्कृष्ट वृत्ति है. प्रेम का तत्व यही है कि प्राणी मात्र को प्रेम की दृष्टि से देखा जाए. ©sanjay Kumar Mishra"

 White सगुण भक्ति काव्य धारा
राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में कई सिद्धांत बताए हैं: 
1 प्रेम में त्याग और निःस्वार्थता होना ज़रूरी है. 
 2 प्रेम को छीना या मांगा नहीं जा सकता.  
3 प्रेम एक भावना है जो किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी के प्रति समर्पित करती है. 4 प्यार बंधन नहीं है, बल्कि आज़ादी है. 5 सच्चा प्यार आपको अकल्पनीय तरीकों से बढ़ने में मदद करता है. 6 प्रेम इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में परीक्षा की कसौटी पर चढ़ता है. 7 सच्चे साधक इन दुर्निवार अवस्थाओं में प्रेम से विचलित नहीं होते. 
 8 प्रेम मनुष्य हृदय की सर्वोत्कृष्ट वृत्ति है. 
 प्रेम का तत्व यही है कि प्राणी मात्र को प्रेम की दृष्टि से देखा जाए.

©sanjay Kumar Mishra

White सगुण भक्ति काव्य धारा राम और कृष्ण दो प्रमुख अराध्य देव के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इसमें कृष्ण बहुआयामी और गरिमामय व्यक्तित्व द्वारा मानवता को एक तागे से जोड़ने का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सगुण कवियों ने प्रेम और हरि को अभेद्य माना, प्रेम कृष्ण का रूप है और स्वयं कृष्ण प्रेम-स्वरुप हैं।भगवान श्रीकृष्ण ने प्रेम के बारे में कई सिद्धांत बताए हैं: 1 प्रेम में त्याग और निःस्वार्थता होना ज़रूरी है. 2 प्रेम को छीना या मांगा नहीं जा सकता. 3 प्रेम एक भावना है जो किसी व्यक्ति को अपने प्रेमी के प्रति समर्पित करती है. 4 प्यार बंधन नहीं है, बल्कि आज़ादी है. 5 सच्चा प्यार आपको अकल्पनीय तरीकों से बढ़ने में मदद करता है. 6 प्रेम इष्ट वियोग और अनिष्ट योग में परीक्षा की कसौटी पर चढ़ता है. 7 सच्चे साधक इन दुर्निवार अवस्थाओं में प्रेम से विचलित नहीं होते. 8 प्रेम मनुष्य हृदय की सर्वोत्कृष्ट वृत्ति है. प्रेम का तत्व यही है कि प्राणी मात्र को प्रेम की दृष्टि से देखा जाए. ©sanjay Kumar Mishra

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