White कविता ~~ कितना अंतर सा प्रतीत होता है ना  उ | हिंदी Poetry

"White कविता ~~ कितना अंतर सा प्रतीत होता है ना  उनके पूछने और मेरे जवाब देने में  जब कभी मैंने उनसे बातें की  मेरे सवालों में ज़िक्र सिर्फ़ उनका रहा ... मगर जब उन्होंने हमसे बातें की  उनके सवालों में ज़िक्र मेरे सिवा सबका रहा… मोहब्बत का ये आयाम भी कितना अजीब है उनका होना भी ज़रूरी और उनके सवालों  में ख़ुद को सही साबित करना भी ज़रूरी ।। (जय शाइर) ©जय "

White कविता ~~ कितना अंतर सा प्रतीत होता है ना  उनके पूछने और मेरे जवाब देने में  जब कभी मैंने उनसे बातें की  मेरे सवालों में ज़िक्र सिर्फ़ उनका रहा ... मगर जब उन्होंने हमसे बातें की  उनके सवालों में ज़िक्र मेरे सिवा सबका रहा… मोहब्बत का ये आयाम भी कितना अजीब है उनका होना भी ज़रूरी और उनके सवालों  में ख़ुद को सही साबित करना भी ज़रूरी ।। (जय शाइर) ©जय

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