White अच्छा लगता है जब तुम मुझे, मेरे होने का अहस | हिंदी कविता

"White अच्छा लगता है जब तुम मुझे, मेरे होने का अहसास करवाते हो। और मुझसे मेरी मुलाकात करवाते हो। भूल जाती हूँ जब-जब मैं खुद को, और धुंधलाने लगता है वज़ूद मेरा तब -तब तुम मुझसे मेरा तारुफ करवाते हो। खो जाती हूँ जब जिन्दगी की मसरूफियत में तब तुम चुपके से वहाँ से खींच लाते हो। अच्छा लगता है जब तुम मेरे गढे हुए शब्दों की रूह को छू पाते हो और उसमें छिपे हुए अहसास को महसूस कर पाते हो तब लफ्ज़ो की खूबसूरती को तुम और निखार जाते हो। अच्छा है जो इस कराबत का नाम नहीं तमाम कराबतों को देखा है गुमनाम होते हुए। (आशिमा) ©Dr Archana"

 White अच्छा लगता है जब तुम मुझे,
 मेरे होने का अहसास करवाते हो।
और मुझसे मेरी मुलाकात करवाते हो।
भूल जाती हूँ जब-जब मैं खुद को,
और धुंधलाने लगता है वज़ूद मेरा
तब -तब तुम मुझसे मेरा तारुफ करवाते हो।
खो जाती हूँ जब जिन्दगी की मसरूफियत में
तब तुम चुपके से वहाँ से खींच लाते हो।
अच्छा लगता है जब तुम मेरे गढे हुए 
शब्दों की रूह को छू पाते हो 
और उसमें छिपे हुए अहसास को 
महसूस कर पाते हो तब लफ्ज़ो की खूबसूरती
को तुम और निखार जाते हो।
अच्छा है जो इस कराबत का नाम नहीं 
तमाम कराबतों को देखा है गुमनाम होते हुए।
                   (आशिमा)

©Dr Archana

White अच्छा लगता है जब तुम मुझे, मेरे होने का अहसास करवाते हो। और मुझसे मेरी मुलाकात करवाते हो। भूल जाती हूँ जब-जब मैं खुद को, और धुंधलाने लगता है वज़ूद मेरा तब -तब तुम मुझसे मेरा तारुफ करवाते हो। खो जाती हूँ जब जिन्दगी की मसरूफियत में तब तुम चुपके से वहाँ से खींच लाते हो। अच्छा लगता है जब तुम मेरे गढे हुए शब्दों की रूह को छू पाते हो और उसमें छिपे हुए अहसास को महसूस कर पाते हो तब लफ्ज़ो की खूबसूरती को तुम और निखार जाते हो। अच्छा है जो इस कराबत का नाम नहीं तमाम कराबतों को देखा है गुमनाम होते हुए। (आशिमा) ©Dr Archana

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