उम्मीद
ना जाने कितने गम दिल में दबाएं हुए है
जाहिर भी अब किससे करे
जिनसे उम्मीद रखी थी हमने
अब वही उनके गम सुना रहे है
©Shabdoka Sagar
उम्मीद
ना जाने कितने गम दिल में दबाएं हुए है
जाहिर भी अब किससे करे
जिनसे उम्मीद रखी थी हमने
अब वही उनके गम सुना रहे है
#shabdokasagar
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