White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से... जैसे | हिंदी शायरी

"White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से... जैसे मौत लिपटती है ज़िंदगानी से..। जीत बहुत दूर चली गयी मुझसे लेकिन... हार न मानूंगा इतनी आसानी से..। और जा पहुंचा हूँ मैं कई ज़ख्मों तलक... उसके बदन के फ़क़त इक-दो निशानी से..। खुद शिशे के सामने आना पड़ता है... तू देखता है जो इतनी हैरानी से..। मेरे सिर से कोई बचपन उतारे ‘ख़ब्तुल’... इश्क़ अक्सर कहता रहता है जवानी से..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3"

 White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से...
जैसे मौत लिपटती है ज़िंदगानी से..।

जीत बहुत दूर चली गयी मुझसे लेकिन...
हार न मानूंगा इतनी आसानी से..।

और जा पहुंचा हूँ मैं कई ज़ख्मों तलक...
उसके बदन के फ़क़त इक-दो निशानी से..।

खुद शिशे के सामने आना पड़ता है...
तू देखता है जो इतनी हैरानी से..।

मेरे सिर से कोई बचपन उतारे ‘ख़ब्तुल’...
इश्क़ अक्सर कहता रहता है जवानी से..।

                  - ख़ब्तुल
               संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से... जैसे मौत लिपटती है ज़िंदगानी से..। जीत बहुत दूर चली गयी मुझसे लेकिन... हार न मानूंगा इतनी आसानी से..। और जा पहुंचा हूँ मैं कई ज़ख्मों तलक... उसके बदन के फ़क़त इक-दो निशानी से..। खुद शिशे के सामने आना पड़ता है... तू देखता है जो इतनी हैरानी से..। मेरे सिर से कोई बचपन उतारे ‘ख़ब्तुल’... इश्क़ अक्सर कहता रहता है जवानी से..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3

प्यास

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