White ये प्यास इस क़दर मिल रही है पानी से...
जैसे मौत लिपटती है ज़िंदगानी से..।
जीत बहुत दूर चली गयी मुझसे लेकिन...
हार न मानूंगा इतनी आसानी से..।
और जा पहुंचा हूँ मैं कई ज़ख्मों तलक...
उसके बदन के फ़क़त इक-दो निशानी से..।
खुद शिशे के सामने आना पड़ता है...
तू देखता है जो इतनी हैरानी से..।
मेरे सिर से कोई बचपन उतारे ‘ख़ब्तुल’...
इश्क़ अक्सर कहता रहता है जवानी से..।
- ख़ब्तुल
संदीप बडवाईक
©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
प्यास