तुम कही खो न जाओ रिश्तों में कहीं भूल न जाओ ना कह | हिंदी कविता

"तुम कही खो न जाओ रिश्तों में कहीं भूल न जाओ ना कहो तुम ऐसा जैसे बंदिशें बढ़ने लगी हैं बस करो अब न सताओ उलझने न बढ़ाओ समझो मेरी बात तुम भी मेरे मन के जज्बात तुम भी आहटों को जान न पाओ बस मुझे पहचान जाओ ©आगाज़"

 तुम कही खो न जाओ 
रिश्तों में कहीं भूल न जाओ
ना कहो तुम ऐसा
जैसे बंदिशें बढ़ने लगी हैं 
बस करो अब न सताओ
उलझने न बढ़ाओ
समझो मेरी बात तुम भी 
मेरे मन के जज्बात तुम भी
आहटों को जान न पाओ
बस मुझे पहचान जाओ

©आगाज़

तुम कही खो न जाओ रिश्तों में कहीं भूल न जाओ ना कहो तुम ऐसा जैसे बंदिशें बढ़ने लगी हैं बस करो अब न सताओ उलझने न बढ़ाओ समझो मेरी बात तुम भी मेरे मन के जज्बात तुम भी आहटों को जान न पाओ बस मुझे पहचान जाओ ©आगाज़

#navratri @aditi the writer amit pandey @DASHARATH RANKAWAT SHAKTI @Kamaal Husain

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