Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सद | हिंदी Shree Ram K

"Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सदा त्रिपुरारि ।। लंका नगरी का जो राजा। पीड़ित जिससे देव समाजा।। ब्रह्मा की वह किया तपस्या।मत हो माँगा मृत्यु समस्या।। तप की रखने को मर्यादा। ब्रह्मा बोले धन दूँ ज्यादा।। उनसे तब यह रावण बोला।अमर बनूँ मैं मंशा खोला।। अमर नहीं जगती में कोई।आया जो है जाए सोई।। ©Bharat Bhushan pathak"

 Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सदा त्रिपुरारि ।।
लंका नगरी का जो राजा। पीड़ित जिससे देव समाजा।।
ब्रह्मा की वह किया तपस्या।मत हो माँगा मृत्यु समस्या।।
तप की रखने को मर्यादा। ब्रह्मा बोले धन दूँ ज्यादा।।
उनसे तब यह रावण बोला।अमर बनूँ मैं मंशा खोला।।
अमर नहीं जगती में कोई।आया जो है जाए सोई।।

©Bharat Bhushan pathak

Jai Shri Ram दैत्य राज रावण अति भारी।जो था पूजै सदा त्रिपुरारि ।। लंका नगरी का जो राजा। पीड़ित जिससे देव समाजा।। ब्रह्मा की वह किया तपस्या।मत हो माँगा मृत्यु समस्या।। तप की रखने को मर्यादा। ब्रह्मा बोले धन दूँ ज्यादा।। उनसे तब यह रावण बोला।अमर बनूँ मैं मंशा खोला।। अमर नहीं जगती में कोई।आया जो है जाए सोई।। ©Bharat Bhushan pathak

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