एक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा;
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
•आशीष द्विवेदी
©Bazirao Ashish
#एक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
तुम भी समझोगे हाल मेरा;
धोखा खाकर देखो न।
तुम क्या पाओगे क्या खोओगे?
खुद का समर्पण करके देखो न।
इक बार प्रिये तुम भी;
दरखत होकर देखो न।
👌 👌 👌 👌 Bahut bahut sundar lines bro 👌 👌 🌹 🌹 👍 👍 💯 💯 💯