तुझसे बिछड़ के मैं कहां जा सकती हूँ तू मेरे अंदर ह | हिंदी Shayari

"तुझसे बिछड़ के मैं कहां जा सकती हूँ तू मेरे अंदर है तुझे हर जगह पा सकती हूँ हमार मिलना तो शायद अब मुमकिन नहीं लेकिन हाँ, दावत पर तेरे ख्वाबों में मैं आ सकती हूँ देखा था मैंने सिर्फ लबों का ही बोसा "तबस्सुम " नहीं जानती थी कि मैं बोसा नजरों का भी पा सकती हूँ -सुरैया तबस्सुम ©Suraiyya Tabassum"

 तुझसे बिछड़ के मैं कहां जा सकती हूँ
तू मेरे अंदर है तुझे हर जगह पा सकती हूँ 
हमार मिलना तो शायद अब मुमकिन नहीं लेकिन 
हाँ, दावत पर तेरे ख्वाबों में मैं आ सकती हूँ
देखा था मैंने सिर्फ लबों का ही बोसा "तबस्सुम "
नहीं जानती थी कि मैं बोसा नजरों का भी पा सकती हूँ

-सुरैया तबस्सुम

©Suraiyya Tabassum

तुझसे बिछड़ के मैं कहां जा सकती हूँ तू मेरे अंदर है तुझे हर जगह पा सकती हूँ हमार मिलना तो शायद अब मुमकिन नहीं लेकिन हाँ, दावत पर तेरे ख्वाबों में मैं आ सकती हूँ देखा था मैंने सिर्फ लबों का ही बोसा "तबस्सुम " नहीं जानती थी कि मैं बोसा नजरों का भी पा सकती हूँ -सुरैया तबस्सुम ©Suraiyya Tabassum

#bicchdna

#Her hamzha gazal

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