काम क्रोध वासना लालच, अंहकार का मारा सिर दिखै एक ब | हिंदी विचार

"काम क्रोध वासना लालच, अंहकार का मारा सिर दिखै एक बाहर तै भीत्तर सब राखैं दस बारा सिर आये साल दसमी के दिन, खूब जलाते रावण हाम देख झाँक कै कितणे रावण अपणे म्ह छुपा रा सिर सिर तै होवै पिछाण माणस की, सिर माणस की शान सबकी इज्जत अपणी अपणी, सबनै लागै प्यारा सिर राह का आणा राह का जाणा, सब तैं आच्छा हो सै रोळे म्ह तो फुटै ए गा, चाहे उसका सिर या म्हारा सिर आँख नाक कान आर जीभ, दिल जिगर दो गुरदे सारे गात म्ह चौंसठ अंग, के के संभाळै बिचारा सिर करणी चाहिये कार माणस नै सोच समझ कै जग म्ह एक बै कट कै नीचै पड़ ज्या, फेर उठै नहीं दुबारा सिर राजबीर खोरड़ा 25/10/2023 ©Rajbir Khorda"

 काम क्रोध वासना लालच, अंहकार का मारा सिर
दिखै एक बाहर तै भीत्तर सब राखैं दस बारा सिर

आये साल दसमी के दिन, खूब जलाते रावण हाम
देख झाँक कै कितणे रावण अपणे म्ह छुपा रा सिर

सिर तै होवै पिछाण माणस की, सिर माणस की शान
सबकी इज्जत अपणी अपणी, सबनै लागै प्यारा सिर

राह का आणा राह का जाणा, सब तैं आच्छा हो सै
रोळे म्ह तो फुटै ए गा, चाहे उसका सिर या म्हारा सिर

आँख नाक कान आर जीभ, दिल जिगर दो गुरदे
सारे गात म्ह चौंसठ अंग, के के संभाळै बिचारा सिर

करणी चाहिये कार माणस नै सोच समझ कै जग म्ह
एक बै कट कै नीचै पड़ ज्या, फेर उठै नहीं दुबारा सिर

राजबीर खोरड़ा
25/10/2023

©Rajbir Khorda

काम क्रोध वासना लालच, अंहकार का मारा सिर दिखै एक बाहर तै भीत्तर सब राखैं दस बारा सिर आये साल दसमी के दिन, खूब जलाते रावण हाम देख झाँक कै कितणे रावण अपणे म्ह छुपा रा सिर सिर तै होवै पिछाण माणस की, सिर माणस की शान सबकी इज्जत अपणी अपणी, सबनै लागै प्यारा सिर राह का आणा राह का जाणा, सब तैं आच्छा हो सै रोळे म्ह तो फुटै ए गा, चाहे उसका सिर या म्हारा सिर आँख नाक कान आर जीभ, दिल जिगर दो गुरदे सारे गात म्ह चौंसठ अंग, के के संभाळै बिचारा सिर करणी चाहिये कार माणस नै सोच समझ कै जग म्ह एक बै कट कै नीचै पड़ ज्या, फेर उठै नहीं दुबारा सिर राजबीर खोरड़ा 25/10/2023 ©Rajbir Khorda

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