*ऐक्यं बलं समाजस्य तदभावे स दुर्बल:।* *तस्मात ऐक्य | हिंदी विचार

"*ऐक्यं बलं समाजस्य तदभावे स दुर्बल:।* *तस्मात ऐक्यं प्रशंसन्ति दॄढं राष्ट्र हितैषिण:।।* एकता ही समाज की ताकत है और एकता के बिना समाज कमजोर हो जाता है। इसलिए जो लोग राष्ट्र के हितों की परवाह करते हैं वे हमेशा एकता को प्रोत्साहित करते हैं... ©शैलेन्द्र यादव"

 *ऐक्यं बलं समाजस्य तदभावे स दुर्बल:।*
*तस्मात ऐक्यं प्रशंसन्ति दॄढं राष्ट्र हितैषिण:।।*

एकता ही समाज की ताकत है और एकता के बिना समाज कमजोर हो जाता है। इसलिए जो लोग राष्ट्र के हितों की परवाह करते हैं वे हमेशा एकता को प्रोत्साहित करते हैं...

©शैलेन्द्र यादव

*ऐक्यं बलं समाजस्य तदभावे स दुर्बल:।* *तस्मात ऐक्यं प्रशंसन्ति दॄढं राष्ट्र हितैषिण:।।* एकता ही समाज की ताकत है और एकता के बिना समाज कमजोर हो जाता है। इसलिए जो लोग राष्ट्र के हितों की परवाह करते हैं वे हमेशा एकता को प्रोत्साहित करते हैं... ©शैलेन्द्र यादव

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