तुम्हें चाहा जबसे हम नाम बदनाम कर बैठे तिरे सदके | हिंदी Shayari

"तुम्हें चाहा जबसे हम नाम बदनाम कर बैठे तिरे सदके में दुनिया का हर इल्ज़ाम ले बैठे दूर से ये इश्क़ की गलियां बड़ी खूबसूरत है मगर हकीकत में ये क्या दर्द का जाम ले बैठे कतारों में दिल की कितने चाहने वाले आये मगर एहदे वफ़ा का हम यूं एहतराम कर बैठे दिल के कतरे-कतरे में तिरी तस्वीर बनती है क्यूं अपनी ही जिंदगी यूं कोहराम कर बैठे सबाह से पलकें बिछाये दहलीज पर आ बैठें इंतज़ार में तेरे उम्र की अब हम शाम कर बैठे ©Anjna Agrawal"

 तुम्हें चाहा जबसे हम नाम  बदनाम कर बैठे 
तिरे सदके में  दुनिया का हर इल्ज़ाम ले बैठे 

दूर से ये इश्क़ की गलियां बड़ी खूबसूरत है 
मगर हकीकत में ये क्या दर्द का जाम ले बैठे

कतारों में दिल की कितने चाहने वाले आये 
मगर एहदे वफ़ा का हम यूं एहतराम कर बैठे 

दिल के कतरे-कतरे में तिरी तस्वीर बनती है 
क्यूं अपनी ही जिंदगी यूं कोहराम कर बैठे 

सबाह से पलकें बिछाये दहलीज पर आ बैठें
इंतज़ार में तेरे उम्र की अब हम शाम कर बैठे

©Anjna Agrawal

तुम्हें चाहा जबसे हम नाम बदनाम कर बैठे तिरे सदके में दुनिया का हर इल्ज़ाम ले बैठे दूर से ये इश्क़ की गलियां बड़ी खूबसूरत है मगर हकीकत में ये क्या दर्द का जाम ले बैठे कतारों में दिल की कितने चाहने वाले आये मगर एहदे वफ़ा का हम यूं एहतराम कर बैठे दिल के कतरे-कतरे में तिरी तस्वीर बनती है क्यूं अपनी ही जिंदगी यूं कोहराम कर बैठे सबाह से पलकें बिछाये दहलीज पर आ बैठें इंतज़ार में तेरे उम्र की अब हम शाम कर बैठे ©Anjna Agrawal

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