पल्लव की डायरी
खुद की वकत नही,भेड़ चाल चलते है
मचल गये,आकर्षणों में अब हाथ मलते है
तड़प तड़प कर,दुनियाँ के जालों में फँसते है
विजन और सोच अपना बने, वो फतह मंजिल करते है
राहो में कितने रुकावटे और तूफान आये
दुनियाँ को झुकाकर इतिहास रचते है
दुनियाँ के पीछे कियो चलना
खुद दुनियाँ को मुठ्ठी में रखकर चलना है
तासीर अपनी लिखकर मंत्र मुग्ध
जग को करना है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
मंत्र मुग्ध जग को करना है
#nojotohindi