बेरंग जीवन को अपने हुनर से,
रंगीन तस्वीर में कुछ यूँ ढाला..!
गिरते हौंसले को तुमने,
अपनी सूझबझ से बख़ूबी सँभाला..!
इस ख़ुशी के लिए मेरी हँसी के लिए,
ढूँढी तुमने प्रेरणास्रोत माला..!
हार कर मार देना न ख़्वाहिशों को अपनी,
आज तमस है तो कल होगा उजाला..!
एहसास कराया अथाह शक्ति के सागर का,
मन में जगाई है उत्साह की ज्वाला..!
सामर्थ युक्त हुआ तुमसे मिलकर मैं,
मुक्ति का मार्ग यूँ मुश्किलों से निकाला..!
आस्था में रास्ता निकल जाता है तरक्की का,
कृपा करेंगे सदा दीन दयाला..!
©SHIVA KANT(Shayar)
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