जैसे उनके हर अल्फ़ाज़ में जन्नत छिपी हो, हम हर सां | हिंदी शायरी

"जैसे उनके हर अल्फ़ाज़ में जन्नत छिपी हो, हम हर सांस पर उनका शुक्राना करते हैं। वो हंसे, हम उन्हें तकते हैं, वो लब खोल कुछ कहें, हम "इरशाद" कहते हैं। वो कदम रखें, तो जमीन झूमने लगे, आसमां उनकी छांव को चूमने लगे। उनकी मौजूदगी से दिल सुकून पाता है, हर शख्स उनकी तारीफ में "इरशाद" कहता है। ©नवनीत ठाकुर"

 जैसे उनके हर अल्फ़ाज़ में जन्नत छिपी हो,
हम हर सांस पर उनका शुक्राना करते हैं।
वो हंसे, हम उन्हें तकते हैं,
वो लब खोल कुछ कहें, हम "इरशाद" कहते हैं।

वो कदम रखें, तो जमीन झूमने लगे,
आसमां उनकी छांव को चूमने लगे।
उनकी मौजूदगी से दिल सुकून पाता है,
हर शख्स उनकी तारीफ में "इरशाद" कहता है।

©नवनीत ठाकुर

जैसे उनके हर अल्फ़ाज़ में जन्नत छिपी हो, हम हर सांस पर उनका शुक्राना करते हैं। वो हंसे, हम उन्हें तकते हैं, वो लब खोल कुछ कहें, हम "इरशाद" कहते हैं। वो कदम रखें, तो जमीन झूमने लगे, आसमां उनकी छांव को चूमने लगे। उनकी मौजूदगी से दिल सुकून पाता है, हर शख्स उनकी तारीफ में "इरशाद" कहता है। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
इरशाद

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