White सोचती हूं क्या माता को भी कोई कुछ दे सकता है | हिंदी Poetry

"White सोचती हूं क्या माता को भी कोई कुछ दे सकता है भला  अगर दे सके तो भी दिखावे का प्यार क्यों ? मैंने तय किया, मैं दूंगी समय, सपने और वचन  वचन कि कोख को तेरी कभी नहीं लजाऊंगी  मैं रखूंगी सदा तेरा मान-सम्मान  जो भी तुम चाहो हासिल वही करके दिखाऊंगी मां मैं क्षमा चाहूंगी तुमसे, अपनी हर उत्दंडता के लिए  इसलिए भी कि, नहीं लाई हूं आज तुम्हारे लिए कोई भी उपहार  मां तुम स्वयं मेरी आराध्या हो, न कि कोई त्योहार  क्षमा चाहूंगी तुमसे कि, मैं जता न पाऊंगी कभी तुमसे मेरा प्यार ।। ©Yaminee Suryaja "

White सोचती हूं क्या माता को भी कोई कुछ दे सकता है भला  अगर दे सके तो भी दिखावे का प्यार क्यों ? मैंने तय किया, मैं दूंगी समय, सपने और वचन  वचन कि कोख को तेरी कभी नहीं लजाऊंगी  मैं रखूंगी सदा तेरा मान-सम्मान  जो भी तुम चाहो हासिल वही करके दिखाऊंगी मां मैं क्षमा चाहूंगी तुमसे, अपनी हर उत्दंडता के लिए  इसलिए भी कि, नहीं लाई हूं आज तुम्हारे लिए कोई भी उपहार  मां तुम स्वयं मेरी आराध्या हो, न कि कोई त्योहार  क्षमा चाहूंगी तुमसे कि, मैं जता न पाऊंगी कभी तुमसे मेरा प्यार ।। ©Yaminee Suryaja

#mothers_day

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