White जमाने को इल्जाम न दे गाफ़िल, अपने ही अपनों क | हिंदी कविता

"White जमाने को इल्जाम न दे गाफ़िल, अपने ही अपनों को गिराते हैं‌। जिन हाथों में खंजर थामे, उनसे ही पीठ थपथपाते हैं। जाँच परख करें कब किसकी? दाग भी ये बेदाग है। अपनों ही में फन फैलाए, आस्तीन के साँप हैं। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज""

 White जमाने को इल्जाम न दे गाफ़िल,
अपने ही अपनों को गिराते हैं‌।
जिन हाथों में खंजर थामे,
उनसे ही पीठ थपथपाते हैं।
जाँच परख करें कब किसकी?
दाग भी ये बेदाग है।
अपनों ही में फन फैलाए,
आस्तीन के साँप हैं।

©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

White जमाने को इल्जाम न दे गाफ़िल, अपने ही अपनों को गिराते हैं‌। जिन हाथों में खंजर थामे, उनसे ही पीठ थपथपाते हैं। जाँच परख करें कब किसकी? दाग भी ये बेदाग है। अपनों ही में फन फैलाए, आस्तीन के साँप हैं। ©ऋतुराज पपनै "क्षितिज"

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#जमाना

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