सर्द हवाएं बर्फीली हैं कांप रही है काया
सज धज करके चली मेनका ,देख मदन ललचाया
देख रूपसी छैल छबीली लालायित होते हैं
आए हैं ऋषि मुनि तपस्वी सुधि अपनी खोते हैं
डोल गया मन नृत्य देखकर अदभुत प्रभु की माया
धीरे से कानों में पति ने आकरके है बोला
सभी देखते घूर घूर कर आज तुम्हारा चोला
गर्म वस्त्र ना पहना पति ने कितना भी समझाया
आज मेरे देवर की शादी खूब करूंगी मस्ती
आज मुझे जानेगी दुनियां मै भी कोई हस्ती
मैं पीछे क्यों रहूं जो कान्हा ने भी रास रचाया
मालूम है कल से टपकेंगे नाक से अविरल मोती
तबियत ठीक नहीं है अब तो तुम्हीं बनाओ रोटी
बेखुद यही सोच करके पति मन ही मन मुस्काया
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
# बारात में फ़ैशन